निगाहें फेर लेती हो तुम कमाल करती हो
जब तुम मेरे होंठों के आगे गाल करती हो ।
एक नजर देख लो जिसको मुड़ कर तुम
बेइंतहा ग़रीब को भी मालामाल करती हो
मैं नहीं लिखता तुम्हारी आँखों को कातिल
पर जो तुम इन नजरों से यूँ हलाल करती हो
तुम्हारे दिल की मासूमियत क्या कहिये
पहले दिल तोड़ती हो फिर मलाल करती हो