तू मुझको पहचान गई तो
इसमें तेरी शान गई तो
ये जो अपने बीच है अब तक
सारी दुनिया जान गई तो
चाहे सारी दौलत ले लो
मर जाऊँगा जुबान गई तो
रूठने का शोक है तुझको
इसमें मेरी जान गई तो
रूठोगी तो मनाऊँगा नहीं
डर लगता है मान गई तो
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
तू मुझको पहचान गई तो
इसमें तेरी शान गई तो
ये जो अपने बीच है अब तक
सारी दुनिया जान गई तो
चाहे सारी दौलत ले लो
मर जाऊँगा जुबान गई तो
रूठने का शोक है तुझको
इसमें मेरी जान गई तो
रूठोगी तो मनाऊँगा नहीं
डर लगता है मान गई तो
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
तब हर रोज़ तुम्हारे लब पे बस एक नाम हमारा था
मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।
तेरी जुल्फें उड़ती उड़ती मुझसे बातें करती थी
तेरी दोनों आँख का काजल मेरी आँख का तारा था ।
अब तुम जिसके दिलबर हो क्या उसके होकर भी बोलो
याद कभी वो आता है जो तुमको जान से प्यारा था ।
ख़ाली हाथ लोटता कैसे सो आज तलक नहीं लोटा
वो पगला जो तेरी खातिर तोड़ने निकला तारा था ।
ख़त और फूल तो छोड़ो मैंने फेंका नहीं आज तलक
"मौन" वो राह का पत्थर जिसको तुमने ठोकर मारा था |
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
तुम्हें मेरी ज़रूरत है
हर उस चीज़ को बंद करने के लिए
जिसे तुम खुला छोड़ देती हो उपयोग के बाद
चाहे वो कोई ड्रॉवर हो, कोई अलमीरा, कोई डब्बा या दरवाजा
या तुम्हारी आँसू बहाती आँखें और प्यार लुटाता दिल
सब खुले ही रहेंगे मेरे बाद
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
तुम्हें मेरी ज़रूरत है
हर उस गलती के लिए दोषी ठहराने को
जो तुमसे हो जाती है जाने अनजाने में
और तुम मानना नहीं चाहती आदतन
जबकि मन में सब जानती हो।
मैं नहीं होऊँगा तो कौन दोषी होगा इन ग़लतियों का।
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
तुम्हें मेरी ज़रूरत है
तुम्हारे सारे आईडी और पासवर्ड याद रखने के लिए,
जो अक्सर भूल जाती हो तुम।
तुम्हारे एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड का पिन हो
या नेट बैंकिंग का प्रोफाइल पासवर्ड
मैं नहीं रहा तो कौन याद दिलायेगा तुम्हें।
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
तुम्हें मेरी ज़रूरत है
तुम्हारी हर चॉइस और डिसिज़न को वैलिडेट करने के लिए
जो तुम पहले से डिसाइड कर चुकी होती हो
पर जबरन मुझसे हाँ करवाती हो की यही सही है
ताकि जब वो ग़लत हो तो मुझे कह सको
की तुम्हारी तो चॉइस ही ख़राब है
किसको कहोगी ये सब मैं नहीं हुआ तो।
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
तुम्हें मेरी ज़रूरत है
जब जब तुम रूठोगी तुम्हें मनाने के लिए
तुम्हारे नाज़ उठाने के लिए
तुम्हारी कमर को बल खाने से बचाने कि लिए
तुम्हारा गुस्सा और चिड़चिड़ाहट
कोन झेलेगा गर मैं ना रहूँगा तुम्हारे पास
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
निगाहें फेर लेती हो तुम कमाल करती हो
जब तुम मेरे होंठों के आगे गाल करती हो ।
एक नजर देख लो जिसको मुड़ कर तुम
बेइंतहा ग़रीब को भी मालामाल करती हो
मैं नहीं लिखता तुम्हारी आँखों को कातिल
पर जो तुम इन नजरों से यूँ हलाल करती हो
तुम्हारे दिल की मासूमियत क्या कहिये
पहले दिल तोड़ती हो फिर मलाल करती हो
वक्त-ए-रुख़सत ख़ुश हुआ वो, दुःख हुआ मुझे ।
उसकी ख़ुशी देखकर कुछ और दुःख हुआ मुझे ।
मैंने उसको दुआ दी थी, ख़ुश रहना उसके साथ
जब सुना वो सच में ख़ुश हैं तो दुःख हुआ मुझे ।
दुश्मनी गहरी थी पर उसको बर्बाद करके फिर
उसके बच्चों की तरफ़ देखा तो दुःख हुआ मुझे ।
मैं दुःखी हूँ ये जानकर की ख़ुश नहीं है वो
वो ख़ुश हैं ये जानकर की दुःख हुआ मुझे ।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
अंदर से नहीं बस बाहर से देखा मुझको
सब ने अपने अपने चश्में से देखा मुझको
आख़िर उम्र भर का इंतज़ार जाया न गया
उसने जनाज़े को रुकवा के देखा मुझको
तुम जा रहे थे, चले जाते, कोई ग़म ना था
तुमनें क्यूँ जाते हुए पलट के देखा मुझको
अच्छा ! वो पहली नज़र का इश्क़ नहीं था
तो फिर क्यों इतने प्यार से देखा मुझको ।
लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
तुझसे बिछड़ कर भी आख़िर मैं, ज़िंदा तो हूँ
तुझसा ख़ुश तो नहीं हूँ चाहे, ज़िंदा तो हूँ
तेरा ग़म भी तेरे वादे जैसा कच्चा निकला
जान नहीं ले पाया मेरी ये, ज़िंदा तो हूँ ।
तेरी माँग को जो बे-सिंदूर देखा उस दिन
चिकोटी काट के देखा मैंने ज़िंदा तो हूँ
शुक्र है तेरे कातिल हुस्न को पर्दे में देखा
इनायत है की दीवाना सही मैं ज़िंदा तो हूँ
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है
जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है
वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो मैनें पूछ लिया
वो सब तो छोड़ो मियाँ इश्क़ किया है ?
इतनी बड़ी सजा और इस गुनाह की
कोई क़त्ल नहीं किया इश्क़ किया है
अच्छा तो प्यार के बदले प्यार चाहते हो
अमा कोई सौदा नहीं किया, इश्क़ किया है ।
अल्फ़ाज़ की जरूरत ही नहीं इस शह में
आँखों से होती है बयाँ, इश्क़ किया है
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
ये जो सारे ख़त-ए-इज़हार रखे है तुमने
मेरे जैसे कितने उम्मीदवार रखे है तुमने
ये मुस्कान ये काजल ये खुले बाल
क़त्ल के कितने हथियार रखे है तुमने
दो नावों पर सवार हो तो फिर भी ठीक
एक नाव पर कितने सवार रखे है तुमने
इश्क़ में एक-दो आशिक़ मरना आम बात है
पूरे पूरे क़बीले मार रखे है तुमने ।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
मुझे लगता था
की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे
और जी जान से तुम
मेरे सपने पूरे करने में
अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे ।
पर ऐसा होता नहीं,
होना लाज़मी भी नहीं,
सपने तो अपने ही होते हैं
और उनको पूरा करने का दारौमदार
ख़ुद के ही काँधों पर होता है ।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
तुम्हारे होने की क़ीमत याद दिलाती है मुझे
मैं वो दीया हूँ
जो बिना बाती के रोशन हुआ चाहता है ।
पर उसको याद नहीं
की वो बिनाई दीये की नहीं
वो तो बाती और तेल की बदौलत
रोशन होती है ।
ग़लतफ़हमी फिर ग़लतफ़हमी ही है
चाहे वो कितनी भी ख़ुशफ़हमी के रूप में आए ।
बेहतर है समय रहते
एहसास हो जाए हकीकत का
और क़ीमत समझ लूँ मैं तुम्हारी ।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
तू मुझको पहचान गई तो इसमें तेरी शान गई तो ये जो अपने बीच है अब तक सारी दुनिया जान गई तो चाहे सारी दौलत ले लो मर जाऊँगा जुबान गई तो र...