Saturday, April 26, 2025

सपने

मुझे लगता था 

की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे 

और जी जान से तुम 

मेरे सपने पूरे करने में 

अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे । 

पर ऐसा होता नहीं, 

होना लाज़मी भी नहीं,

सपने तो अपने ही होते हैं 

और उनको पूरा करने का दारौमदार 

ख़ुद के ही काँधों पर होता है ।

                © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

नामौजूदगी

तुम्हारी नामौजूदगी 

तुम्हारे होने की क़ीमत याद दिलाती है मुझे 

मैं वो दीया हूँ 

जो बिना बाती के रोशन हुआ चाहता है । 

पर उसको याद नहीं 

की वो बिनाई दीये की नहीं 

वो तो बाती और तेल की बदौलत 

रोशन होती है । 

ग़लतफ़हमी फिर ग़लतफ़हमी ही है 

चाहे वो कितनी भी ख़ुशफ़हमी के रूप में आए । 

बेहतर है समय रहते 

एहसास हो जाए हकीकत का 

और क़ीमत समझ लूँ मैं तुम्हारी ।

            © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

सपने

मुझे लगता था  की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे  और जी जान से तुम  मेरे सपने पूरे करने में  अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे ।  पर ऐसा होता नहीं,  होना ...