तुझसे बिछड़ कर भी आख़िर मैं, ज़िंदा तो हूँ
तुझसा ख़ुश तो नहीं हूँ चाहे, ज़िंदा तो हूँ
तेरा ग़म भी तेरे वादे जैसा कच्चा निकला
जान नहीं ले पाया मेरी ये, ज़िंदा तो हूँ ।
तेरी माँग को जो बे-सिंदूर देखा उस दिन
चिकोटी काट के देखा मैंने ज़िंदा तो हूँ
शुक्र है तेरे कातिल हुस्न को पर्दे में देखा
इनायत है की दीवाना सही मैं ज़िंदा तो हूँ
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
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