ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है
जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है
वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो हमने पूछ लिया
वो सब तो छोड़ो मिया इश्क़ किया है ?
इतनी बड़ी सजा और इस गुनाह की
कोई क़त्ल नहीं किया इश्क़ किया है
अच्छा तो प्यार के बदले प्यार चाहते हो
अमा कोई सौदा नहीं किया, इश्क़ किया है ।
अल्फ़ाज़ की जरूरत ही नहीं इस शह में
आँखों से होती है बयाँ, इश्क़ किया है
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
No comments:
Post a Comment