Sunday, August 25, 2024
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तुमनें क्यों जाते हुए पलट के देखा मुझको
अंदर से नहीं बस बाहर से देखा मुझको सब ने अपने अपने चश्में से देखा मुझको आख़िर उम्र भर का इंतज़ार जाया न गया उसने जनाज़े को रुकवा के देखा ...
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मैं इसलिए डरता हूँ कहीं जाने से मैं पर्दा रख पाता नहीं जमाने से खुली किताब हूँ मुझे पढ़कर लोग बाज आते नही मुझे सताने से मेरा चमन है मैंने इसे...
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तेरे बगैर भी जीना, कोई मुश्किल तो नहीं सब कुछ तो है वैसा ही, बस एक दिल तो नहीं तू नहीं तो क्या तेरी यादें तो बसर करती है घर चाहे खाली हो...
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सता लो चाहे जितना एक लफ़्ज़ ना होठों से निकलेगा पर मैं रोया तो मैरा आँसू तेरी आँखों से निकलेगा वक़्त है बुलंदी का तो कुछ भलाई के काम करो वस...