Monday, June 11, 2012

किस्मत

10 जून 2012 रविवार को सहसा हि गजल लिखने का मन हुआ....  कोशिश की है,, पता नहीं गजल कहलाने के स्तर तक पहुच पाया या नहीं .....?


वो किस्मत में नहीं था, होता तो मिल गया होता,
इस कदर सब्र पर तो, खुदा भी मिल गया होता |

'हद' इंतज़ार की हमने, सब पार कर दी होती,
गर एक बार भी उसने, "फिर आउंगी" कहा होता |

नाउम्मीदी-ऐ-मंजिल में, जान दे दी मुसाफिर नें,
जो दीदार-ऐ-साहिल होता, तूफाँ से लड़ गया होता |

"मौन" हमारे घर में आकर, खैर-खबर तो ले लेते |

मर्ज तुम्हारे आने भर से, दवा हो गया होता |

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन" 

बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना  पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना लोकेश ब्रह्मभट्ट “मौन”