एक अरसे तक वो मेरा मोहतरम रहा,
जुदा होकर भी उसके होने का भरम रहा
मैं उस दिन पहली बार माँ से झूठ बोला
कईं महीनों तक मेरे दिल में ये गम रहा।
मिरे हर शेर ने कितने दुश्मन बनाये मिरे
पर कलम में यही असनाफ़े-सुख़न रहा।
असनाफ़े-सुख़न = लेखन शैली
एक हलकी फुलकी मजाकिया गजल ग र्मियों का उत्सव मनाएं, चलो आम खाएं काम का प्रेशर हटायें, चलो आम खाएं टेंशन लेने से भी कोई हल तो नहीं निकले...