यूँ आधा इश्क़ मैनें और आधा उसने किया,
इंतख़ाब मैंने किया इख़्तिताम उसने किया।
ये कैसे दाग नजर आ रहे है पैराहन पर मिरे
इतनी बेतरतीबी से मुझे कत्ल किसने किया
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
नजरिया, वक्त, हालात, दौर, कुछ नहीं बदला तेरी ज़रूरत बदल गई और कुछ नहीं बदला परिवर्तन प्रकृति का नियम है, झूठ कहते हैं वो आज भी है दिलों क...
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