यूँ आधा इश्क़ मैनें और आधा उसने किया,
इंतख़ाब मैंने किया इख़्तिताम उसने किया।
ये कैसे दाग नजर आ रहे है पैराहन पर मिरे
इतनी बेतरतीबी से मुझे कत्ल किसने किया
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
मुझे लगता था की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे और जी जान से तुम मेरे सपने पूरे करने में अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे । पर ऐसा होता नहीं, होना ...
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