एक अरसे तक वो मेरा मोहतरम रहा,
जुदा होकर भी उसके होने का भरम रहा
मैं उस दिन पहली बार माँ से झूठ बोला
कईं महीनों तक मेरे दिल में ये गम रहा।
मिरे हर शेर ने कितने दुश्मन बनाये मिरे
पर कलम में यही असनाफ़े-सुख़न रहा।
असनाफ़े-सुख़न = लेखन शैली
ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो हमने पूछ लिया वो सब तो छोड़ो मिया इश्क़ किय...
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