एक अरसे तक वो मेरा मोहतरम रहा,
जुदा होकर भी उसके होने का भरम रहा
मैं उस दिन पहली बार माँ से झूठ बोला
कईं महीनों तक मेरे दिल में ये गम रहा।
मिरे हर शेर ने कितने दुश्मन बनाये मिरे
पर कलम में यही असनाफ़े-सुख़न रहा।
असनाफ़े-सुख़न = लेखन शैली
तुझसे जुदाई, तेरी याद और दिसम्बर एक तो इतने बुरे हालात और दिसम्बर याद बहुत आते है वो साथ बिताए पल तेरे इश्क़ में डूबी रात और दिसम्बर ये इ...
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