चलो खुद में कोई अना ढूंढे
ना भी हो तो बेपनाह ढूंढे
आज फिर वो हो गए खफा
चलो खुद का कोई गुनाह ढूंढे
चलो आज ढूंढे कोई बेसहारा
फिर उसके लिए पनाह ढूंढे
तुम्हे जो वो बेइंतेहा इश्क़ था
वो मोहब्बत वाली निगाह ढूंढे
उनपे मुकदमा कर दें बेवफाई का
और फिर अपने लिए गवाह ढूंढे
उन निगाहों में अपने लिए प्यार
मिलना नहीं है, खामख्वाह ढूंढे
अपना गम गैरों को बताकर
कोई मुफ्त की सलाह ढूंढे
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
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