Saturday, June 19, 2021

सच बताना

अच्छा सच बताना, 
क्या वहाँ भी तुम नींद में कंबल सरक जाने पर 
यह सोच कर वापस नहीं ओढ़ती, 
की मैं थोड़ी देर में ओढा ही दूंगा तुम्हे?
क्या तुम वहाँ भी अपने लिए रात को 
पानी की बोतल भरना भूल जाती हो? 
इस ओवरकॉन्फिडेंस में की मैं तो भर ही दूंगा।

अच्छा सच बताना
क्या तुम्हें वहाँ भी कोई रोज सुबह याद दिलाता है 
की पानी में भिगोये हुए बादाम खाने है तुम्हें, 
जैसे मैं दिलाता था यहाँ।
और क्या तुम उनको खाने में वैसे ही नखरे करती हो,
 जैसे यहाँ करती थी, 
और फिर क्या वहाँ भी तुम्हें कोई बादाम छील कर 
जबरदस्ती खिलाता है,
जैसे मैं खिलाता था यहाँ। 

अच्छा सच बताना
क्या वहाँ भी तुम नहाने के बाद 
अपना टॉवेल सुखाना भूल जाती हो?
जैसे यहाँ करती थी।
यहाँ तो अब ये सब करने वाला कोई नहीं, 
मैं अकेला ही घर की हर एक चीज से,
तुम्हारी शिकायत करता रहता हूँ और 
हर चीज कमबख्त तुम्हारा ही पक्ष लेती है 
और हार जाता हूँ मैं,
जैसे पहले हार जाता था तुमसे, हर दिन।

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

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