Saturday, June 19, 2021

हद्द है

वो बिना इश्क़ सोगवार है हद्द है
और इश्क़ भी नागवार है हद्द है

जब पता ही था वो बेवफा है
क्यों ये दिल बेकरार है हद्द है

बस ख्वाब में मिलने की आस है 
और आंखों से नींद फरार है हद्द है

जिन रिश्तों की कसमें खायी थी
उन रिश्तों में भी दरार है हद्द है

कोई आसरा ही नहीं रहा लेकिन
एक उम्मीद बरकरार है हद्द है

"मौन" सच लिए खड़े हो यहाँ?
ये झूठ का बाजार है, हद्द है।

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

सच बताना

अच्छा सच बताना, 
क्या वहाँ भी तुम नींद में कंबल सरक जाने पर 
यह सोच कर वापस नहीं ओढ़ती, 
की मैं थोड़ी देर में ओढा ही दूंगा तुम्हे?
क्या तुम वहाँ भी अपने लिए रात को 
पानी की बोतल भरना भूल जाती हो? 
इस ओवरकॉन्फिडेंस में की मैं तो भर ही दूंगा।

अच्छा सच बताना
क्या तुम्हें वहाँ भी कोई रोज सुबह याद दिलाता है 
की पानी में भिगोये हुए बादाम खाने है तुम्हें, 
जैसे मैं दिलाता था यहाँ।
और क्या तुम उनको खाने में वैसे ही नखरे करती हो,
 जैसे यहाँ करती थी, 
और फिर क्या वहाँ भी तुम्हें कोई बादाम छील कर 
जबरदस्ती खिलाता है,
जैसे मैं खिलाता था यहाँ। 

अच्छा सच बताना
क्या वहाँ भी तुम नहाने के बाद 
अपना टॉवेल सुखाना भूल जाती हो?
जैसे यहाँ करती थी।
यहाँ तो अब ये सब करने वाला कोई नहीं, 
मैं अकेला ही घर की हर एक चीज से,
तुम्हारी शिकायत करता रहता हूँ और 
हर चीज कमबख्त तुम्हारा ही पक्ष लेती है 
और हार जाता हूँ मैं,
जैसे पहले हार जाता था तुमसे, हर दिन।

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Wednesday, June 16, 2021

चलो खुद में कोई अना ढूंढे

चलो खुद में कोई अना ढूंढे
ना भी हो तो  बेपनाह ढूंढे

आज फिर वो हो गए खफा 
चलो खुद का कोई गुनाह ढूंढे

चलो आज ढूंढे कोई बेसहारा
फिर उसके लिए पनाह ढूंढे

तुम्हे जो वो बेइंतेहा इश्क़ था
वो मोहब्बत वाली निगाह ढूंढे

उनपे मुकदमा कर दें बेवफाई का
और फिर अपने लिए गवाह ढूंढे

उन निगाहों में अपने लिए प्यार
मिलना नहीं है, खामख्वाह ढूंढे

अपना गम गैरों को बताकर
कोई मुफ्त की सलाह ढूंढे

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना  पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना लोकेश ब्रह्मभट्ट “मौन”