Tuesday, September 23, 2025

मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।

तब हर रोज़ तुम्हारे लब पे बस एक नाम हमारा था 

मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।


तेरी जुल्फें उड़ती उड़ती मुझसे बातें करती थी 

तेरी दोनों आँख का काजल मेरी आँख का तारा था ।


अब तुम जिसके दिलबर हो क्या उसके होकर भी बोलो

याद कभी वो आता है जो तुमको जान से प्यारा था ।


लौटता कैसे ख़ाली हाथ सो लौटा नहीं वो आज तलक

वो पगला जो तेरी खातिर तोड़ने निकला तारा था ।


ख़त और फूल तो छोड़ो मैंने फेंका नहीं है आज तलक  

"मौन" वो राह का पत्थर जिसको तुमने ठोकर मारा था |

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


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