तू मुझको पहचान गई तो
इसमें तेरी शान गई तो
ये जो अपने बीच है अब तक
सारी दुनिया जान गई तो
चाहे सारी दौलत ले लो
मर जाऊँगा जुबान गई तो
रूठने का शोक है तुझको
इसमें मेरी जान गई तो
रूठोगी तो मनाऊँगा नहीं
डर लगता है मान गई तो
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
नजरिया, वक्त, हालात, दौर, कुछ नहीं बदला तेरी ज़रूरत बदल गई और कुछ नहीं बदला परिवर्तन प्रकृति का नियम है, झूठ कहते हैं वो आज भी है दिलों क...
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