Sunday, November 23, 2025

कुछ नहीं बदला

नजरिया, वक्त, हालात, दौर, कुछ नहीं बदला 

तेरी ज़रूरत बदल गई और कुछ नहीं बदला 


परिवर्तन प्रकृति का नियम है, झूठ कहते हैं 

वो आज भी है दिलों का चौर कुछ नहीं बदला 


वो हुस्न तब भी क़ातिल था आज भी क़ातिल है 

होठों से लेकर काजल की कोर कुछ नहीं बदला 


बदलना फ़ितरत है जमाने की खैर कोई बात नहीं 

हमने तो पैरहन के सिवा और कुछ नहीं बदला 

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Sunday, October 19, 2025

तू मुझको पहचान गई तो

 तू मुझको पहचान गई तो 

इसमें तेरी शान गई तो 


ये जो अपने बीच है अब तक 

सारी दुनिया जान गई तो 


चाहे सारी दौलत ले लो 

मर जाऊँगा जुबान गई तो 


रूठने का शोक है तुझको 

इसमें मेरी जान गई तो 


रूठोगी तो मनाऊँगा नहीं  

डर लगता है मान गई तो 

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Tuesday, September 23, 2025

मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।

तब हर रोज़ तुम्हारे लब पे बस एक नाम हमारा था 

मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।


तेरी जुल्फें उड़ती उड़ती मुझसे बातें करती थी 

तेरी दोनों आँख का काजल मेरी आँख का तारा था ।


अब तुम जिसके दिलबर हो क्या उसके होकर भी बोलो

याद कभी वो आता है जो तुमको जान से प्यारा था ।


ख़ाली हाथ लोटता कैसे सो आज तलक नहीं लोटा 

वो पगला जो तेरी खातिर तोड़ने निकला तारा था ।


ख़त और फूल तो छोड़ो मैंने फेंका नहीं आज तलक  

"मौन" वो राह का पत्थर जिसको तुमने ठोकर मारा था |

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


Monday, September 15, 2025

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।


तुम्हें मेरी ज़रूरत है 

हर उस चीज़ को बंद करने के लिए 

जिसे तुम खुला छोड़ देती हो उपयोग के बाद 

चाहे वो कोई ड्रॉवर हो, कोई अलमीरा, कोई डब्बा या दरवाजा 

या तुम्हारी आँसू बहाती आँखें और प्यार लुटाता दिल 

सब खुले ही रहेंगे मेरे बाद 

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।


तुम्हें मेरी ज़रूरत है 

हर उस गलती के लिए दोषी ठहराने को 

जो तुमसे हो जाती है जाने अनजाने में 

और तुम मानना नहीं चाहती आदतन 

जबकि मन में सब जानती हो।

मैं नहीं होऊँगा तो कौन दोषी होगा इन ग़लतियों का।

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।


तुम्हें मेरी ज़रूरत है 

तुम्हारे सारे आईडी और पासवर्ड याद रखने के लिए,

जो अक्सर भूल जाती हो तुम।

तुम्हारे एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड का पिन हो 

या नेट बैंकिंग का  प्रोफाइल पासवर्ड  

मैं नहीं रहा तो कौन याद दिलायेगा तुम्हें।

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।


तुम्हें मेरी ज़रूरत है 

तुम्हारी हर चॉइस और डिसिज़न को वैलिडेट करने के लिए 

जो तुम पहले से डिसाइड कर चुकी होती हो 

पर जबरन मुझसे हाँ करवाती हो की यही सही है 

ताकि जब वो ग़लत हो तो मुझे कह सको 

की तुम्हारी तो चॉइस ही ख़राब है 

किसको कहोगी ये सब मैं नहीं हुआ तो।

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।


तुम्हें मेरी ज़रूरत है 

जब जब तुम रूठोगी तुम्हें मनाने के लिए 

तुम्हारे नाज़ उठाने के लिए 

तुम्हारी कमर को बल खाने से बचाने कि लिए 

तुम्हारा गुस्सा और चिड़चिड़ाहट 

कोन झेलेगा गर मैं ना रहूँगा तुम्हारे पास 

यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है।

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Saturday, August 2, 2025

कमाल करती हो

निगाहें फेर लेती हो तुम कमाल करती हो 

जब तुम मेरे होंठों के आगे गाल करती हो ।


एक नजर देख लो  जिसको मुड़ कर तुम 

बेइंतहा ग़रीब को भी मालामाल करती हो 


मैं नहीं लिखता तुम्हारी आँखों को कातिल 

पर जो तुम इन नजरों से यूँ हलाल करती हो 


तुम्हारे दिल की मासूमियत क्या कहिये 

पहले दिल तोड़ती हो फिर मलाल करती हो  

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Saturday, July 26, 2025

दुःख हुआ मुझे ।

वक्त-ए-रुख़सत ख़ुश हुआ वो, दुःख हुआ मुझे ।

उसकी ख़ुशी देखकर कुछ और दुःख हुआ मुझे । 


मैंने उसको दुआ दी थी, ख़ुश रहना उसके साथ

जब सुना वो सच में ख़ुश हैं तो दुःख हुआ मुझे ।


दुश्मनी गहरी थी पर उसको बर्बाद करके फिर 

उसके बच्चों की तरफ़ देखा तो दुःख हुआ मुझे । 


मैं दुःखी हूँ ये जानकर की ख़ुश नहीं है वो 

वो ख़ुश हैं ये जानकर की दुःख हुआ मुझे ।

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


Inspired from :

मैं चाहता था मुझसे बिछड़ कर वो ख़ुश रहे,

लेकिन वो ख़ुश हुआ तो बड़ा दुःख हुआ मुझे । 

-उमैर नज़्मी 

Monday, June 16, 2025

तुमनें क्यों जाते हुए पलट के देखा मुझको

अंदर से नहीं बस बाहर से देखा मुझको 

सब ने अपने अपने चश्में से देखा मुझको 


आख़िर उम्र भर का इंतज़ार जाया न गया 

उसने जनाज़े को रुकवा के देखा मुझको 


तुम जा रहे थे, चले जाते, कोई ग़म ना था 

तुमनें क्यूँ जाते हुए पलट के देखा मुझको 


अच्छा ! वो पहली नज़र का इश्क़ नहीं था 

तो फिर क्यों इतने प्यार से देखा मुझको ।

लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

कुछ नहीं बदला

नजरिया, वक्त, हालात, दौर, कुछ नहीं बदला  तेरी ज़रूरत बदल गई और कुछ नहीं बदला  परिवर्तन प्रकृति का नियम है, झूठ कहते हैं  वो आज भी है दिलों क...