Thursday, June 5, 2025

ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है

जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है


वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो हमने पूछ लिया

वो सब तो छोड़ो मिया इश्क़ किया है ?


इतनी बड़ी सजा और इस गुनाह की

कोई क़त्ल नहीं किया इश्क़ किया है


अच्छा तो प्यार के बदले प्यार चाहते हो

अमा कोई सौदा नहीं किया, इश्क़ किया है ।


अल्फ़ाज़ की जरूरत ही नहीं इस शह में

आँखों से होती है बयाँ, इश्क़ किया है

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Tuesday, May 13, 2025

ये जो सारे ख़त-ए-इज़हार रखे है तुमने 

मेरे जैसे कितने उम्मीदवार रखे है तुमने


ये मुस्कान ये काजल ये खुले बाल

क़त्ल के कितने हथियार रखे है तुमने


दो नावों पर सवार हो तो फिर भी ठीक

एक नाव पर कितने सवार रखे है तुमने


इश्क़ में एक-दो आशिक़ मरना आम बात है

पूरे पूरे क़बीले मार रखे है तुमने ।

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Saturday, April 26, 2025

सपने

मुझे लगता था 

की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे 

और जी जान से तुम 

मेरे सपने पूरे करने में 

अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे । 

पर ऐसा होता नहीं, 

होना लाज़मी भी नहीं,

सपने तो अपने ही होते हैं 

और उनको पूरा करने का दारौमदार 

ख़ुद के ही काँधों पर होता है ।

                © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

नामौजूदगी

तुम्हारी नामौजूदगी 

तुम्हारे होने की क़ीमत याद दिलाती है मुझे 

मैं वो दीया हूँ 

जो बिना बाती के रोशन हुआ चाहता है । 

पर उसको याद नहीं 

की वो बिनाई दीये की नहीं 

वो तो बाती और तेल की बदौलत 

रोशन होती है । 

ग़लतफ़हमी फिर ग़लतफ़हमी ही है 

चाहे वो कितनी भी ख़ुशफ़हमी के रूप में आए । 

बेहतर है समय रहते 

एहसास हो जाए हकीकत का 

और क़ीमत समझ लूँ मैं तुम्हारी ।

            © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Sunday, August 25, 2024

उनके बिना हम कितने अकेले पड़ गए

जेसे दिल पर कईं तीर नुकीले पड़ गए


उदु के साथ वक्त ए मुलाक़ात पर

हमें देख कर वो पीले पड़ गए


बीच तकरार में अपनी जुल्फ खोलीं उसने 

हमारे बगावती तेवर ढीले पड़ गए


तय वक्त पर पहुँच तो जाता मैं लेकिन

राह में सुखनवरों के कबीले पड़ गए 


यूं तो पहली मोहब्बत शायरी थी मेरी

पर फिर राह में वो लब रसीले पड़ गए

                © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Sunday, May 19, 2024

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या

जान बूझ कर जीवन ख़राब करोगी क्या?


जब चले ही जाना है मुझसे दूर एक दिन

फिर मेरे ख्वाबों में आकर करोगी क्या ?


मैं तो तुमको रात दिन प्यार कर सकता हूँ

पर तुम इतने प्यार का आख़िर करोगी क्या ?


तूम वो नशा हो जिसे देख कर झूमते हैं लोग

“मौन” तुम आख़िर शराब पीकर करोगी क्या ?

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Tuesday, January 16, 2024

बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना 

पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना


© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन" 

ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो हमने पूछ लिया वो सब तो छोड़ो मिया इश्क़ किय...