Tuesday, June 13, 2023

आँखे

आँखें भारी भारी रहती है 

तेरी यादें तारी रहती है 


उनके हाथों में फूल होते है 

बाजू  में कटारी रहती है 


उसकी तो फितरत है लड़ना 

अपनी भी तैयारी रहती है 


उन माँ बापों की हालत पूछो 

जिनकी बहुएं न्यारी रहती है 


सुना है सब बेटों के घर 

माँ बारी बारी रहती है 


मकान वो ही घर कहलाता है 

जिस घर में नारी रहती है 

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

 

तारी : हावी रहना, तल्लीन रहना

न्यारी : अलग 

Thursday, June 1, 2023

चलो आम खाएं

एक हलकी फुलकी मजाकिया गजल 


र्मियों का उत्सव  मनाएं,  चलो आम खाएं 

काम का प्रेशर हटायें, चलो आम खाएं 


टेंशन लेने से भी कोई हल तो नहीं निकलेगा 

फिर क्यूँ तनाव में आयें, चलो आम खाएं 


उन लोगों को खुशिया बांटे जो दुखी हों 

फिर साथ बैठकर मुस्कुराएं, चलो आम खाएं 


हर समस्या का कोई न कोई हल तो निकलेगा 

काटकर खाएं या आमरस बनाएँ, चलो आम खाएं 

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Monday, May 29, 2023

कैसे निकलेंगे

ये तेरी यादों के समंदर से बाहर कैसे निकलेंगे 

चेहरे से जो जाहिर है, छुपाकर कैसे निकलेंगे 


मयकदे से हम मयकश तो निकल जायेंगे यूँ ही 

ये वाइज़ दुनियां से मुंह छुपाकर कैसे निकलेंगे 


सुना है तेरे आशिकों का धरना है तेरी गली में 

तुझसे मिलने आये तो फिर बाहर कैसे निकलेंगे 

 ©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


तेरे बगैर भी जीना, कोई मुश्किल तो नहीं

तेरे बगैर भी जीना, कोई  मुश्किल तो नहीं 

सब कुछ तो है वैसा ही, बस एक दिल तो नहीं 


तू नहीं तो क्या तेरी यादें तो बसर करती है 

ख़ाली हो चाहे घर मेरा, खाली दिल तो नहीं 


ख़याल तेरे सताते है मुझको भी रात दिन

माना सख्त-दिल हूँ मगर, संग-दिल तो नहीं 

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


दिसम्बर

तुझसे जुदाई, तेरी याद और दिसम्बर  एक तो इतने बुरे हालात और दिसम्बर  याद बहुत आते है वो साथ बिताए पल तेरे इश्क़ में डूबी रात और दिसम्बर  ये इ...