Saturday, May 7, 2022

मातृ दिवस की शुभकामनाएं।

गुस्सा, फ़िक्र और आंसू लिए देहलीज पे हाजिर देखा,
मैं जब भी घर देर से लोटा, 'माँ' को  मुन्तज़िर देखा |
                                       
                                         -लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
मुंतज़िर:  प्रतीक्षारत 

No comments:

Post a Comment

उनके बिना हम कितने अकेले पड़ गए जेसे दिल पर कईं तीर नुकीले पड़ गए उदु के साथ वक्त ए मुलाक़ात पर हमें देख कर वो पीले पड़ गए बीच तकरार में अपन...