मैं जब भी घर देर से लोटा, 'माँ' को मुन्तज़िर देखा |
-लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
मुंतज़िर: प्रतीक्षारत
मुझे लगता था की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे और जी जान से तुम मेरे सपने पूरे करने में अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे । पर ऐसा होता नहीं, होना ...
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