एक अरसे तक वो मेरा मोहतरम रहा,
जुदा होकर भी उसके होने का भरम रहा
मैं उस दिन पहली बार माँ से झूठ बोला
कईं महीनों तक मेरे दिल में ये गम रहा।
मिरे हर शेर ने कितने दुश्मन बनाये मिरे
पर कलम में यही असनाफ़े-सुख़न रहा।
असनाफ़े-सुख़न = लेखन शैली
नजरिया, वक्त, हालात, दौर, कुछ नहीं बदला तेरी ज़रूरत बदल गई और कुछ नहीं बदला परिवर्तन प्रकृति का नियम है, झूठ कहते हैं वो आज भी है दिलों क...