तुझसे जुदाई, तेरी याद और दिसम्बर
एक तो इतने बुरे हालात और दिसम्बर
याद बहुत आते है वो साथ बिताए पल
तेरे इश्क़ में डूबी रात और दिसम्बर
ये इश्क़ मुकम्मल होना ही था उस रात
वो आख़िरी मुलाक़ात और दिसम्बर
सर्द हवायें, ठंडा कमरा, और हम तुम
मेरे हाथों में तेरा हाथ और दिसम्बर
ज़बसे हम बिछड़े हैं सब सुना सुना है
सुना घर सुने दिन रात और दिसम्बर
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"