Monday, May 29, 2023

कैसे निकलेंगे

 ये तेरी यादों के समंदर से हम बाहर कैसे निकलेंगे 

अपने चेहरे से जो जाहिर है, छुपाकर कैसे निकलेंगे 


मयकदे से हम मयकश तो निकल जायेंगे यूँ ही 

ये वाइज़ दुनियां से मुंह छुपाकर कैसे निकलेंगे 


सुना है तेरे आशिकों का धरना है तेरी गली में 

तुझसे मिलने आये तो फिर बाहर कैसे निकलेंगे 


इस शहर में हर शक्श तेरा ही  तो दीवाना है 

तेरी खबर ना आई तो अखबार कैसे निकलेंगे 

 ©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


तेरे बगैर भी जीना, कोई मुश्किल तो नहीं

तेरे बगैर भी जीना, कोई  मुश्किल तो नहीं 

सब कुछ तो है वैसा ही, बस एक दिल तो नहीं 


तू नहीं तो क्या तेरी यादें तो बसर करती है 

घर चाहे खाली हो मेरा, खाली दिल तो नहीं 


ख़याल तेरे सताते है मुझको भी दिन रात 

माना सख्त-दिल हूँ मगर, संग-दिल तो नहीं 

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"


मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।

तब हर रोज़ तुम्हारे लब पे बस एक नाम हमारा था  मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था । तेरी जुल्फें उड़ती उड़ती मुझसे बातें करती थी  ...