Thursday, December 8, 2022

सता लो चाहे जितना एक लफ़्ज़ ना होठों से निकलेगा 

पर मैं रोया तो मैरा आँसू तेरी आँखों से निकलेगा


वक़्त है बुलंदी का तो कुछ भलाई के काम करो

वसूली का जो पैसा है वो तो बीमारों से निकलेगा 


पतवार जैसी भी हो नाविक में हिम्मत हो अगर 

सफ़ीना हर हाल में बाहर तूफ़ानों से निकलेगा 

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

ख़ुद पे ही सितम किया इश्क़ किया है जानते हुए ज़हर पिया इश्क़ किया है वो डिग्रियाँ गिना रहा था तो हमने पूछ लिया वो सब तो छोड़ो मिया इश्क़ किय...