शाम सवेरे खालीपन है,
सुनी रातें खलती है।
मेरे दिल की बोझल शामें,
रोज सवेरे ढलती है।
दूर हुए हैं जबसे उनसे,
एक विरह की ही ज्वाला,
इस दिल में भी जलती है और,
उस दिल में भी जलती है।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या जान बूझ कर जीवन ख़राब करोगी क्या? जब चले ही जाना है मुझसे दूर एक दिन फिर मेरे ख्वाबों में आकर करोगी क्या ...
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