Saturday, November 28, 2020

खालीपन

शाम सवेरे खालीपन है,
 सुनी रातें खलती है।
मेरे दिल की बोझल शामें, 
रोज सवेरे ढलती है।

दूर हुए हैं जबसे उनसे, 
एक विरह की ही ज्वाला,
इस दिल में भी जलती है और, 
उस दिल में भी जलती है।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

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बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना  पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना लोकेश ब्रह्मभट्ट “मौन”