Friday, June 28, 2019

उसकी यादों ने मगर पीछा नहीं छोड़ा |

हाँ मान लिया की तुमने रिश्ता नहीं छोड़ा 
वो अलग बात है हमें कहीं का नहीं छोड़ा 

जिस महफ़िल में तय था, बेआबरू होना,
हमने उस महफ़िल में भी जाना नहीं छोड़ा |

वो छोड़ गया हमको, मझधार में तन्हा,
साहिल पे भी हमने जिसे तन्हा नहीं छोड़ा |

मुफलिसी में अमीरी की लत छोड़ दी लेकिन,
हमने गैरत नहीं छोड़ी कभी ईमाँ नहीं छोड़ा |

एक एक कर छोड़ गए सब, राहे-हयात में,
माँ की दुआओं ने कभी तन्हा नहीं छोड़ा |

घर, गली, कूचा, गाँव, सब छोड़ दिया लेकिन,
उसकी यादों ने फिर भी पीछा नहीं छोड़ा |

बरसों हुए सूखे हुए, फूलों को किताबों में,
"मौन" फिर भी फूलों ने महकना नहीं छोड़ा |

©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
07/03/2018

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बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना  पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना लोकेश ब्रह्मभट्ट “मौन”