Friday, June 28, 2019

तुम कहते तो सही

लड़ तो हम खुदा से लेते, तुम कहते तो सही|
सारे जग से बैर ले लेते तुम कहते तो सही|

जग से न हारे हम, हारे तुम्हारी ख़ामोशी से 
सारा दहर जीत लेते, तुम कहते तो सही |

तुम भी कौनसे इस कदर खामोश-मिजाज थे,
हम भी पर्दा-ए-हया हटा देते, तुम कहते तो सही|

हज़ारों कोशिशें की तुमने, तर्के-वफ़ा की हमसे,
हम खुद ही चल दिए होते, तुम कहते तो सही |

लब न खोलते तुम, कुछ इशारा ही कर देते,
हम भी न “मौन” रहते, तुम कहते तो सही |


©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
28/06/2019

1 comment:

  1. बहुत शानदार गज़ल हुई सर, "तुम कहते तो सही"

    ReplyDelete

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी  क्या जान बूझ कर जीवन ख़राब करोगी क्या? जब चले ही जाना है मुझसे दूर एक दिन फिर मेरे ख्वाबों में आकर करोगी क्या ...