Sunday, August 25, 2024

उनके बिना हम कितने अकेले पड़ गए

जेसे दिल पर कईं तीर नुकीले पड़ गए


उदु के साथ वक्त ए मुलाक़ात पर

हमें देख कर वो पीले पड़ गए


बीच तकरार में अपनी जुल्फ खोलीं उसने 

हमारे बगावती तेवर ढीले पड़ गए


तय वक्त पर पहुँच तो जाता मैं लेकिन

राह में सुखनवरों के कबीले पड़ गए 


यूं तो पहली मोहब्बत शायरी थी मेरी

पर फिर राह में वो लब रसीले पड़ गए

                © लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Sunday, May 19, 2024

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या

अब भी तुम मुझसे प्यार करोगी क्या

जान बूझ कर जीवन ख़राब करोगी क्या?


जब चले ही जाना है मुझसे दूर एक दिन

फिर मेरे ख्वाबों में आकर करोगी क्या ?


मैं तो तुमको रात दिन प्यार कर सकता हूँ

पर तुम इतने प्यार का आख़िर करोगी क्या ?


तूम वो नशा हो जिसे देख कर झूमते हैं लोग

“मौन” तुम आख़िर शराब पीकर करोगी क्या ?

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

Tuesday, January 16, 2024

बस इतनी सी बात जान के जीवन सफल  हो गया अपना 

पिताजी माँ से कह रहे थे ये लड़का ठीक निकल गया अपना


© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन" 

सपने

मुझे लगता था  की मेरे सपने भी तुम्हारे होंगे  और जी जान से तुम  मेरे सपने पूरे करने में  अपनी ज़िन्दगी बिता दोगे ।  पर ऐसा होता नहीं,  होना ...