मैं जब भी घर देर से लोटा, 'माँ' को मुन्तज़िर देखा |
-लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
मुंतज़िर: प्रतीक्षारत
यक़ीन मानों तुम्हें मेरी ज़रूरत है। तुम्हें मेरी ज़रूरत है हर उस चीज़ को बंद करने के लिए जिसे तुम खुला छोड़ देती हो उपयोग के बाद चाहे वो ...