Saturday, August 2, 2025

कमाल करती हो

निगाहें फेर लेती हो तुम कमाल करती हो 

जब तुम मेरे होंठों के आगे गाल करती हो ।


एक नजर देख लो  जिसको मुड़ कर तुम 

बेइंतहा ग़रीब को भी मालामाल करती हो 


मैं नहीं लिखता तुम्हारी आँखों को कातिल 

पर जो तुम इन नजरों से यूँ हलाल करती हो 


तुम्हारे दिल की मासूमियत क्या कहिये 

पहले दिल तोड़ती हो फिर मलाल करती हो  

© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"

मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था ।

तब हर रोज़ तुम्हारे लब पे बस एक नाम हमारा था  मेरा हर एक गीत प्रिये तब तुमको लगता प्यारा था । तेरी जुल्फें उड़ती उड़ती मुझसे बातें करती थी  ...